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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2728
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर

 

अध्याय - 1 
कला की परिभाषा

(Definition of Art)

प्रश्न- कला क्या है? कला का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

अथवा
कला का क्या अर्थ है? समझाइये।
अथवा
कला क्या है? समझाइये। 

उत्तर -

कला

कला मानव की सहज अभिव्यक्ति है। प्राचीन गुहा वासियों से लेकर आज के काँच की खिड़कियों से झाँकने वाले मानवों की कला का विकास क्रम रुका नहीं है वरन् देशकाल की परिस्थितियों को निभाते हुए आगे बढ़ा है। उसे जब भी जो कुछ भी मिल सका उसके माध्यम से सृजन का कार्य निरन्तर चल रहा है। कितने ही माध्यम का उसने अब तक प्रयोग किया है पहाड़ों को काटकर देवालयों का निर्माण किया है। पत्थरों को जोड़कर एक से एक अविराम मन्दिर उसने खड़े किये। उसकी भित्तियों पर विभिन्न उपयोग किये। ताड़, कपड़ा एवं कागज आदि जो कुछ भी मिल गया उसने उसको ही सृजन का माध्यम बना लिया।

सभ्यता के शैशवकाल से ही मानव ने अपने चारों ओर के वातावरण से प्रभावित होकर दूसरे मनुष्यों को भी अपने सुख-दुख का सहकर्मी बनाने का प्रयत्न किया है। अपनी अनुभूतियों और भावों को उल्लास और वेदना को दूसरों के समक्ष व्यक्त करने का प्रयत्न किया है। अपने विचारों और कल्पनाओं, भावों और अनुभूतियों, सवेंदों और प्रभावों को एक-एक शब्द में 'स्वय' को ही व्यक्त करने हेतु मनुष्य को ही अपने सृष्टा द्वारा प्रदत्त शरीर जात अथवा भौतिक उपकरणों पर आधारित किसी माध्यम का आश्रय लेना पड़ता हैं। वाणी, हाथ पैर अर्थात शरीर उसकी अभिव्यक्ति के सह माध्यम थे। जिन्होंने कालान्तर में केवल संगीत, अभिनय एवं नृत्य का रूप ग्रहण किया। गेरू, खडियां, पत्थर, मिट्टी अथवा काष्ठ (लकड़ी) आदि उसके भौतिक उपकरणों पर आधारित थे जो चित्र, मूर्ति एवं वास्तु के नाम से जाने गये।

कला शब्द का अर्थ - कला का सम्पूर्ण परिचय प्राप्त करने के लिए हमें "कला" शब्द के  अर्थ एवं विकास को समझना होगा।

Herbert Read (हर्बट रीड) - अभिव्यंजना ही कला है परन्तु प्रत्येक अभिव्यंजना कला नहीं है। वर्तमान युग में कला शब्द के द्वारा जिस अर्थ का बोध होता है उसकी प्रधानतः दो परम्परायें है-

1. भारतीय परम्परा,
2. यूरोपीय परम्परा

भारतीय विचारधारा के अनुसार कला शब्द का अर्थ - कला संस्कृत भाषा का शब्द है। इसकी व्युत्पत्ति 'कल' धातु से मानी गयी है। जिसका अर्थ है प्रेरित करना, सुन्दर व मधुर है। कल और कला शब्द एक-दूसरे के अधिक समीप है। कुछ विद्वान इसकी व्युत्पत्ति 'क' धातु से मानते हैं - 

"कं (सुखम्) लांति इति कल्म,'
कं आनन्द लाति इति कला।'

इस प्रकार जो आनन्द उत्पन्न करती है वही कला है।

वेदों में ऋग्वेद सबसे प्राचीन है। कला शब्द का प्रयोग इसमें भी प्राप्त होता है। कला शब्द का यर्थाथवादी प्रयोग 'भरत मुनि' ने अपने नाट्यशास्त्र में प्रथम शताब्दी में किया। भरत मुनि द्वारा प्रयुक्त 'कला' शब्द ललित कला के निकट तथा शिल्प व उपयोगी कला के लिए उपयुक्त था। भरत मुनि से पूर्व 'कला' शब्द का प्रयोग काव्य को छोड़कर दूसरे प्रायः सभी प्रकार के चातुर्य कर्म के लिए होता था और इस चातुर्य कर्म के लिए विशिष्ट शब्द था 'शिल्प', जीवन से सम्बन्धित कोई उपयोगी व्यापार ऐसा न था जिसकी गणना शिल्प में न हो।

इस प्रकार कला का अर्थ हुआ - सुन्दर, मधुर, कोमल और सुख देने वाला एवं शिल्प हुनर अथवा कौशल।

वात्सायन के कामसूत्र एवं शुक्रनीति सार में चौंसठ प्रकार (64) की कला का वर्णन मिलता है। सुनार का सोना चुराना एवं वैश्या का मोहित करके पैसा कमाना सभी कला के रूप है।

कला विषयक प्राचीन दृष्टिकोण को स्पष्ट करने वाली एक और विचारधारा में कला को 'विद्या' और 'उपविद्या' माना है।

विद्या का सम्बन्ध - विद्या से सम्बन्ध वेद, पुराण, काव्य और नाट्य आदि से हैं जबकि उपविद्या का सम्बन्ध कलाओं से हैं। विद्या ज्ञानात्मक है जबकि उपविद्या क्रियात्मक है। परन्तु आधुनिक काल में समस्त कला को विद्या और उपविद्या दोनों माना गया है।

2. यूरोपियन दृष्टिकोण के अनुसार कला शब्द का अर्थ - पाश्चात्य दृष्टिकोण के अनुसार अंग्रेजी भाषा में कला को आर्ट ART (ए.आर.टी) कहते हैं। आर्ट शब्द कई शताब्दियों पूर्व से ही साहित्य और समाज में प्रयोग होता आ रहा है। परन्तु उसका आदि स्थान ग्रीक रहा है तथा उसको जन्म देने वाली भाषा लैटिन थी। फ्रेंच में 'आर्ट' और लैटिन में 'आर्टम्' अथवा 'आर्स' (ARS) से इसका सम्बन्ध जोड़ा गया है। इनके अर्थ वही है जो संस्कृत भाषा में मूल धातु 'अर' का है। अर का अर्थ है - बनाना, पैदा करना अथवा रचना करना है। लैटिन भाषा का आर्स शब्द ही धीरे-धीरे आर्ट में परिवर्तित हो गया। लैटिन में आर्स का वही अर्थ है जो संस्कृत में कला अथवा शिल्प का है। शारीरिक एवं मानसिक कौशल से निर्मित वस्तु को कला कहा गया है।

भारतवर्ष के समान यूरोप में भी कलाओं के लिए शिल्प के समानार्थी शब्दों का प्रयोग होता है। यूनान में कलाओं को तख्न (टेक्नीक) कहते हैं। प्राचीन लैटिन शब्द आर्स का अर्थ भी कौशल अथवा शिल्प है। जिससे अंग्रेजी का 'आर्ट' शब्द विकसित हुआ है। बहुत समय तक शिल्पगत कौशल को ही कला माना जाता रहा है। यूरोप में अठारहवीं शती के लगभग विभिन्न कार्यों को तीन वर्गों में बाँटा गया। सौन्दर्यात्मक लक्ष्य से सम्बन्धित कार्य 'ललित कला' (फाइन आर्ट) नैतिक कार्य 'आचरण कला' (आर्टस ऑफ कण्डक्ट) तथा उपयोगी कार्य उदारकला' (लिबरल आर्टस) कहे जाने लगे।

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